आज समाज का दोहरापन सामने आया जहां सनातन धर्म के हर त्यौहार में बदलाब चाहते वो आज बकरीद के दिन क्यों चुप और शांत है। तिलक होली , शिवजी पर दो बून्द दुध चढ़ाओ -बाकि गरीबो को पिलाओ , गणपति जी का विसर्जन घर में ही करो,दिवाली पर प्रदूषण होता है पटाके व कृत्रिम दीप जलाओ आदि ये सब का नजरिया सही भी हो सकता है किन्तु सवाल ये है की इन प्राकृतिक के प्रति सारा प्रेम सनातन धर्म के त्योहारों में ही क्यों छलकता है अनतर क्यों नहीं ? क्यों किसी धर्म में जीव हत्या को सभ्य समाज सही मान लेता है। क्यों कोई आवाज़ नहीं उड़ाता। में किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूँ। पर सब धर्मो को अपना त्यौहार बनाने का अधिकार है वो भी अपने रीती रिबाज के साथ।
सबको बकरीद की बहुत बहुत शुभकामनाए
सबको बकरीद की बहुत बहुत शुभकामनाए