अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को ऐलान किया कि भारत और पाकिस्तान सीजफायर पर सहमत हो गए हैं। लेकिन, क्या वाकई ट्रंप के ट्रेड रोकने की धमकी की वजह से दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ है, या फिर आदत के मुताबिक यह ट्रंप का बड़बोलापन है?
सीजफायर की पूरी कहानी : - जब ट्रंप ने यह ऐलान किया कि भारत-पाकिस्तान सीजफायर के लिए सहमत हो गए हैं। उस समय तक भारत और पाकिस्तान की सीमा पर लगातार गोलाबारी और ड्रोन हमले जारी रहे। यहां तक कि ट्रंप के ऐलान के कई घंटे बात और अगले दिन भी स्थिति तनावर्पूण बनी रही। हालांकि, इस बीच भारत और पाकिस्तान के DGMO के स्तर पर बातचीत होती रही। यहां तक कि 12 मई सोमवार को भी शाम 5 बजे एक बैठक हुई है। इस बैठक में तय हुआ है कि पाकिस्तान की तरफ से किसी तरह की उकसावे की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके अलावा इंटरनेशनल बॉर्डर और लाइन ऑफ कंट्रोल दोनों जगह से पाकिस्तानी सेना अपना जमावड़ा कम करेगी।
बड़बोले ट्रंप की कोई भूमिका नहीं ! भारत ने किया ऐसा काम, पाकिस्तान ने रगड़ी नाक :- सोमवार शाम 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार राष्ट्र के नाम संदेश दिया। इस संदेश में पीएम मोदी ने अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप का एक भी बार जिक्र नहीं किया। जबकि, पीएम मोदी के इस संदेश से कुछ ही देर पहले ट्रंप ने एक प्रेस वार्ता में दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रुकवा दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका उनके साथ बहुत सारा कारोबार करेगा। अगर वे युद्ध नहीं रोकते हैं, तो अमेरिका कारोबार रोक देगा, जिसके बाद दोनों देश युद्ध रोकने पर सहमत हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति कभी व्यापार की बात बोलते नजर आते हैं , तो कहीं परमाणु का हवाला देखकर दोनों देश में हुए युद्ध विराम का सेहरा अपने सर बांधनेकी कोशिश कर रहे हैं।
नया नहीं ट्रंप का बड़बोलापन :- यह पहली बार नहीं है, जब ट्रंप ने इस तरह की हरकत की है. ट्रंप ने टैरिफ, रूस-यूक्रेन युद्ध, पाकिस्तान में आतंकवाद, नॉर्थ कोरिया और ईरान के परमाणु हथियारों के को लेकर कई बार बचकाने बयान दिए हैं। इसी कड़ी में ट्रंप का यह दावा भी शामिल हो गया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोका है। क्योंकि, भारतीय नेतृत्व ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक भी इस यह बात नहीं की था कि भारत परमाणु हमला करेगा. यहां तक कि पाकिस्तानी सेना की तरफ से भी ऐसा कोई बयान नहीं आया, जिसमें परमाणु हमले की धमकी की बात की गई हो।
कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं :- PTI की रिपोर्ट के मुताबिक सेना और उच्चस्तरीय डिप्लोमैटिक बातचीत की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक अधिकारी का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में ट्रंप या अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है. बल्कि, यह सहमति दोनों देशों के बीच हुई DGMO स्तर पर हुई बातचीत के बाद बनी है।
ट्रेड रोके जाने पर कोई बात नहीं हुई :- अधिकारी का कहना है कि 9 मई को जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने पीएम मोदी से बात की, तो उनकी तरफ से भी ट्रेड रोके जाने के संबंध में कोई बात नहीं की थी। इसके अलावा भारत और अमेरिकी के बीच NSA व विदेश मंत्रियों के स्तर पर हुई बातचीत के दौरान भी अमेरिका की तरफ से ट्रेड रोके जाने की कोई बात नहीं की गई. बल्कि, जब DGMO स्तर की बात हुई, तो भारत ने साफ कर दिया था , कि भारत पाकिस्तान की तरफ से होने वाली हर हरकत का और ज्यादा बड़ा जवाब देगा।
पाकिस्तानी सेना ने रगड़ी नाक :- भारतीय सेना की कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के तमाम एयरबेस, रडार, अवॉक्स जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह होने के बाद असल में पाकिस्तानी वायु सेना के पास हमले करने की क्षमता नहीं रही, इसके अलावा भारतीय हमलों के और घातक होने के डर से पाकिस्तान ने खुद अपनी तरफ से बातचीत की पहल की और कहा कि पाकिस्तान अपनी तरफ से सभी तरह की सैन्य और आतंकी गतिविधियों को रोकने का वादा करता है। इसके बाद भारत ने सीजफायर पर विचार किया. यह बात खुद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताई।