दुनिया के पांचवें सबसे अमीर इंसान और "बर्कशायर हैथवे" के चेयरमैन और CEO वॉरेन बफेट ने अपने पद को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने अपनी सालाना बैठक में अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी है। बफे ने ग्रेग एबेल को कंपनी का नया CEO बनाने की सिफारिश की है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ग्रेग एबेल कौन हैं और क्या है उनका शुरुआती करियर
लंबे समय से चल रही थी अटकलें : इन्वेस्टमेंट की दुनिया में एक बड़ा मोड़ सामने आने वाला है। दुनिया के पांचवें सबसे अमीर शख्स बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और CEO वॉरेन बफेट ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कंपनी की सालाना बैठक में कहा है कि साल 2025 के आखिर तक CEO पद से हट जाएंगे । बफे ने बताया कि वे बोर्ड को ग्रेग एबेल को नया CEO बनाने की सिफारिश करेंगे। बफे की नए उत्तराधिकारी की घोषणा ने निवेशकों को चौंका दिया है। दरअसल करीब 865 अरब डॉलर यानी करीब 72.23 लाख करोड़ की वैल्यू वाली बर्कशायर हैथवे में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लंबे समय से चल रही थीं। लेकिन अब बफे की ऑफिशियल घोषणा ने ग्रेग एबेल को इस ग्लोबल बिजनेस की कमान सौंप दी है। ऐसे में आइए जानते हैं कौन है वॉरेन बफेट के नए उत्तराधिकारी ?
कोन है ग्रेग एबेल ?
62 साल के ग्रेग एबेल दो दशकों से बर्कशायर
हैथवे के प्रमुख पिलर रहे हैं. कनाडा के एडमंटन में जन्मे एबेल ने छोटी
उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था. ये बोतलें इकट्ठा करना और फायर
एक्सटिंग्विशर की सर्विसिंग करने जैसे काम उनकी शुरुआती कमाई के जरिए थे. साल 1984 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा से ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने अपनी शुरुआती करियर प्राइसवाटरहाउसकूपर्स
से की. बाद में वे कैलेनर्जी नामक एनर्जी कंपनी में काम किया, जहां वे साल
1999 में कंपनी के चेयरमैन बने. उसी साल बर्कशायर हैथवे ने इस कंपनी में
अपनी पूरी कमान ले ली जिसे बाद में बर्कशायर हैथवे एनर्जी नाम दिया गया. जो
एबेल के करियर में बड़ा मोड़ साबित हुआ.
बर्कशायर में एबेल की भूमिका :- ग्रेग
एबेल ने पिछले कुछ सालों में बर्कशायर की नॉन-इंश्योरेंस यूनिट्स का
नेतृत्व किया है. इनमें BNSF रेलवे, डेयरी क्वीन और बर्कशायर हैथवे एनर्जी
जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. निवेशकों और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों का
मानना है कि एबेल में कंपनी की विरासत को आगे बढ़ाने की पूरी क्षमता है. जब
साल 2021 में बफे ने उन्हें अपना आधिकारिक उत्तराधिकारी घोषित किया था और
तब से उनकी रणनीतिक भूमिका लगातार बढ़ी है.