कई बार हम क्रोधित होकर किस प्रकार अपना अहित कर बैठते हैं उसका प्रत्यक्ष उल्लेख नीचे लिखे गए लेख में साफ दिया गया है
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एक बार फर्नीचर बनाने वाली दुकान में एक सांप घुस गया। जैसे ही सांप वहां रखी आरी के ऊपर से गुजरा, तो वह थोड़ा घायल हो गया। सांप क्रोधित हो गया। वह मुड़कर वापस आया और उसने आरी को काट लिया। ऐसा करते ही उसके मुंह में भी चोट लग गयी और खून बहने लगा। यह देखकर तो वह आग-बबूला हो गया और बिना कुछ सोचे समझे उसने आरी को सबक सीखाने के लिए उस पर हमला कर दिया। उसने अपने पूरे शरीर को आरी के ऊपर लपेट दिया और पूरी ताकत से उसे निचोड़ने लगा। ऐसा करते-करते, सांप ने खुद को खत्म कर लिया।
तो बात का सार ये है कि जीवन में छोटी- छोटी नकारात्मक स्थितियों, व्यवहारों और शब्दों पर रियेक्ट नहीं करना चाहिए, उन्हें नज़रअंदाज़ करना बेहतर होता है। क्योंकि जितना अधिक आप इनमें उलझते हैं, ये उतना ही अधिक आपको नुक्सान पहुँचाते हैं।
इस लेख से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अनावश्यक क्रोध नहीं करना चाहिए और क्रोध में आकर या किसी दूसरे का अहित करने के चक्कर में बिना कुछ सोचे समझे ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिसमें सामने वाली व्यक्ति की अपेक्षा हमारा अपना नुकसान हो जाए |